गौतम बुद्ध की बायोग्राफी

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Gautama Buddha Biography in Hindi: आज हम आपको इस आर्टिकल में बौद्ध धर्म के संस्थापक महान संत गौतम बुद्ध के जीवन (Gautama Buddha Biography in Hindi ) के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई सभी जानकारी उनका जन्म, शिक्षा, विवाह, बौद्ध धर्म की स्थापना इन सभी का विवरण आपको इस पोस्ट में पढ़ने को मिलेगा। आइए जानते हैं गौतम बुद्ध बायोग्राफी इन हिंदी के बारे में पूरी जानकारी…

Gautama Buddha Biography in Hindi बौद्ध धर्म के संस्थापक महान संत गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम रहा था। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी शास्त्रों के अनुसार गौतम बुद्ध को विष्णु के नवे अवतार अर्थात कृष्ण के बाद का इनका जन्म माना जाता है।

बहुत सालों की कड़ी तपस्या के बाद गौतम बुध समझ गए थे कि इंसान जन्म पुनर्जन्म के जाल में हमेशा उलझा रहता है और उसकी लालसा चीजों को पाने के लिए बढ़ती ही जाती है। जिसकी वजह से वह हमेशा दुखी रहता है। सांसारिक मोह माया में फंसा रहता है। इस तरह के धर्म उपदेश देकर उन्होंने समस्त विश्व में प्रचार किया। आज हम आपको ऐसे महान Gautama Buddha Biography in Hindi से जुड़ी हुई सभी जानकारी बताने जा रहे है…

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय Gautama Buddha Biography in Hindi 

Gautama Buddha Biography In Hindi
Gautama Buddha Biography in Hindi
वास्तविक नामसिद्धार्थ वशिष्ट
निक नेकगौतम बुद्ध, शाक्यमुनि, सिद्धार्थ गौतम, बुध
व्यवसायबौद्ध धर्म के संस्थापक

गौतम बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व से पहले नेपाल के कपिलवस्तु लुंबिनी वन में हुआ था। इनका जन्म जब इनकी मां अपने पीहर देवदहा में जा रही थी। तब रास्ते में लुंबिनी वन में महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ। नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवढह के बीच में नौतनवा स्टेशन से 8 किलोमीटर दूर रुकमणी देई नाम का यह स्थान आता है। यहां पर एक लुंबिनी नाम का बंदा इस लुंबिनी वन में दो पक्षों के बीच में महान संत गौतम बुध का जन्म हुआ था।

 सिद्धार्थ के जन्म के 7 दिन के बाद में इनकी मां का देहांत हो गया था। इसके बाद इनका पूरा पालन-पोषण इनकी मौसी और इनके पिता की दूसरी रानी ने किया था। इनका नाम सिद्धार्थ रखा था।

गौतम बुध का व्यक्तिगत जीवन परिचय

पूरा नामसिद्धार्थ वशिष्ठ ( गौतम बुद्ध)
जन्म तिथि563 ईसवी
जन्म स्थानलुंबिनी नेपाल
मृत्यु तिथि483 ई.
होमटाउनलुंबिनी नेपाल
मृत्यु का स्थानकुशीनगर भारत
धर्मबौद्ध धर्म
जातिक्षत्रिय

सिद्धार्थ के नामकरण के लिए बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों को बुलाया गया। वहां पर गौतम बुद्ध की जन्म कुंडली को देख कर समस्त ऋषियों ने यह कहा कि यह राजकुमार अत्यंत तेजस्वी रहेगा या फिर एक महान राजा बनेगा। जो पूरी दुनिया पर विजय प्राप्त करेगा या फिर यह एक सन्यासी होगा जो अपने ज्ञान के भंडार से संपूर्ण सृष्टि को प्रकाशित करेगा।

 ऋषियो के इस प्रकार के वाक्य सुनकर इनके पिता बहुत दुखी हुए। राजा शुद्धोधन चाहते थे कि उनका बेटा एक महान सम्राट बने और पूरी दुनिया पर अपना राज करें।

 महाराज शुद्धोधन ने बुद्ध के रहने के लिए तीनों अलग-अलग रितु ओं के समान तीन महल बनवाएं। ताकि उनको किसी तरह की कोई दुख और कष्ट का आभास नहीं हो। उनको पूरी दुनिया से बिल्कुल अलग रखा गया। उनकी देखभाल के लिए महल में बहुत से दास दासिया रखें।

महाराज शुद्धोधन की इतनी कोशिश के बावजूद राजकुमार सिद्धार्थ ने पारिवारिक मोह माया का त्याग करके और सत्य की खोज करने के लिए महल को छोड़कर चले गए

गौतम बुद्ध का पारिवारिक परिचय

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मातामाया देवी
पिताशुद्धोधन
पत्नीराजकुमारी यशोधरा
बच्चेबेटा राहुल
भाईदेवदत्त
बोधिसत्व का ज्ञानबोधगया
महापरिनिर्वाणकुशीनगर उत्तर प्रदेश

महात्मा गौतम बुद्ध के बचपन में इनका नाम सिद्धार्थ रखा गया था सिद्धार्थ का अर्थ होता है वह इंसान जो सिद्धि प्राप्ति के लिए जन्मा हो अर्थात सिद्ध आत्मा। गौतम बुद्ध के पिता का नाम महाराज शुद्धोधन था यह हिमालय के पास में स्थित गौशाला साम्राज्य के महाराज थे और शाक्य कुल के प्रमुख भी थे।

सिद्धार्थ की खुद की माता का देहांत होने के बाद में इनका पालन-पोषण इनकी दूसरी मां महामाया ने किया सिद्धार्थ का पालन पोषण करने वाली मां का नाम प्रजापति गौतमी था।

सिद्धार्थ अपने बचपन से ही बात करुणा युक्त और गंभीर स्वभाव के व्यक्ति थे। बड़े होने के बाद में उनकी प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसके बाद इनका विवाह इनकी पिता ने यशोधरा नाम की एक सुंदर राजकुमारी के साथ हुआ। शादी होने के बाद में इन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम राहुल रखा।

 सिद्धार्थ का मन गृहस्ती में बिल्कुल भी नहीं लगता था। एक दिन सिद्धार्थ घूमने के लिए वन में चले गए। वहां पर एक वृद्ध रोगी और मृतक को देखा तो इनको जीवन की असली सच्चाई का पता चला। इनके मन में प्रश्न उठा कि क्या मनुष्य की गति यही होती है? यह सोचकर वह बहुत बेचैन हो गए थे। फिर एक रात वह चुपचाप अपने पत्नी और बच्चों को सोता छोड़कर और महल में सभी लोग सो रहे थे उन सभी को छोड़कर वन की तरफ निकल गए।

बोधिसत्व का हुआ ज्ञान प्राप्त

महात्मा बुद्ध जब घर से निकल गए तब उनको यह पता चला कि एकाग्र चित्त ध्यान लगाने के लिए दिमाग को वश में करके ही सही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। तब घूमते घूमते वह एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए और वहां ध्यान लगाना शुरू कर दिया। वहां पर उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक उनको ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो जाएगी, तब तक वह उस स्थान को नहीं छोड़ेंगे।

उस वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई इस पीपल के वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से भी जानते हैं यहां पर भगवान बुद्ध को ज्ञान का बोध हुआ था वर्तमान समय में यह वृक्ष बोधगया बिहार में स्थित है।

सिद्धार्थ को जब ज्ञान प्राप्त हो गया था तो लोग इनको “महात्मा बुद्ध” कहकर संबोधित करने लगे। बुद्ध का अर्थ होता है कि “जागृत करना”सभी जानकारियों के बारे में जानना। उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के बाद में सांसारिक मोह माया से पूरी तरह आजादी प्राप्त कर ली थी। अब ज्ञान प्राप्ति के बाद में वह घृणा, ईर्ष्या, कृष्णा उपेक्षा इत्यादि से मुक्त हो गए।

बौद्ध धर्म की स्थापना प्रचार

महात्मा बुद्ध को जब बोधिसत्व के ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उसके बाद में उन्होंने संसार के सभी लोगों को जो पथभ्रष्ट हो चुके थे। उन को जागरूक करने के बारे में सोचा। इस तरह से उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना करके और लोगों को जगह जगह ज्ञान उपदेश देते हुए आगे बढ़ते चले गए।

 महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ के पांच ब्राह्मणों को दिया था जो कि पथभ्रष्ट हो चुके थे। बुद्ध के उपदेशों को सुनकर यह इतना प्रभावित हो गए थे। फिर उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया था। इस तरह से इसका प्रसार और विस्तार बढ़ता चला गया।

महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण

महात्मा बुद्ध ने संपूर्ण देश अथवा विदेशों में अपने धर्म का प्रचार प्रसार किया। लोगों को जागरूक किया।जिस समय उनकी मृत्यु हुई थी तब वह पावा नगर में गए हुए थे, वहां पर उन्होंने एक लोहार के घर पर भोजन किया था। जिसकी वजह से उनको पेचिश हो गया था। उसके बाद वह गोरखपुर के कुशीनगर स्थान पर पहुंचे। वहां उनका स्वास्थ्य और ज्यादा बिगड़ गया था जिस समय उनकी मृत्यु हुई थी।

 उस समय उनकी आयु लगभग 80 वर्ष की थी। उन्होंने कुशीनगर में ही अपने प्राण त्याग दिए थे। बहुत से भारतीय विद्वानों के अनुसार उनकी मृत्यु 483 अपूर्व में वैशाख महीने की पूर्णिमा को मानी जाती है। बुद्ध का शरीर त्यागने की घटना को बौद्ध धर्म के लोग “महापरिनिर्वाण” कहते हैं।

गौतम बुद्ध का मृत्यु से पहले का अंतिम उपदेश

अपनी मृत्यु का समय आने पर गौतम बुद्ध ने भिक्षुओं से उपदेश देते हुए कहा कि ‘हे भिक्षुओं तुम आत्मदीप बनकर विचारों। खुद अपनी ही शरण में जाओ। किसी दूसरे का सहारा मत ढूंढो। केवल धर्म को ही अपना दीपक बनाओ। धर्म की शरण में ही चले जाओ।’

निष्कर्ष

आज हमने आपको इस आर्टिकल के द्वारा गौतम बुद्ध की जीवनी (Gautama Buddha Biography in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी विस्तार पूर्वक बताई है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख में दी है। वह आपको जरूर पसंद आएगी। आप इसको अधिक से अधिक लाइक शेयर कीजिए और अन्य किसी जानकारी के लिए आप कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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Rahul Singh

राहुल सिंह एक युवा लेखक है तथा ज्यादातर ऑनलाइन गेमिंग, लोटरी, फेंटेसी गेम, क्रिप्टो करेंसी और शेयर मार्किट से जुड़ी खबरें लिखते है।