Kalyan singh Biography in hindi:आज हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा “कल्याण सिंह की जीवनी (Kalyan singh Biography in hindi)” के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कल्याण सिंह के जीवन, शिक्षा, पारिवारिक परिचय, राजनीतिक सफर सभी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी आपको इस लेख में पढ़ने को मिलेगी आइए जानते हैं..
कल्याण सिंह की जीवनी (Kalyan singh Biography in hindi)
नाम | कल्याण सिंह लोधी राजपूत |
आयु | 86 वर्ष |
जन्मतिथि | 5 जनवरी 1935 |
जन्म स्थान | माधोली, अलीगढ़ |
होम टाउन | अलीगढ़ के पास |
राष्ट्रीयता | भारत
|
धर्म | हिन्दू |
जाति | लोधी |
कल्याण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ जिले में 5 जनवरी 1935 को मंडोली गांव में हुआ था। कल्याण सिंह की पत्नी का नाम रामवती व इनके एक पुत्र – एक पुत्री है। कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर को राजू भैया भी कहा जाता है जो कि भारतीय जनता पार्टी के एटा क्षेत्र के सांसद पद पर नियुक्त है। कल्याण सिंह ने दो बार उत्तर प्रदेश से मुख्यमंत्री पद का कार्यभार भी संभाला है। इसके अलावा राज्यपाल के रूप में यह राजस्थान और हिमाचल में भी नियुक्त हो चुके हैं।
जिस समय यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त थे उन दिनों बाबरी मस्जिद के विध्वंस का कार्यकाल में चल रहा था। वह विवाद उन दिनों बहुत महत्वपूर्ण रहा। कल्याण सिंह को सन 1993 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। उन्होंने बाबरी मस्जिद के विध्वंस की जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर सन 1992 को अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
कल्याण सिंह का पारिवारिक परिचय
पिता का नाम | तेजपाल लोधी राजपूत |
माता का नाम | सीतादेवी राजपूत |
पत्नी | रामवती |
बेटा | राजवीर राजपूत( राजू भैया) |
बेटी | प्रभादेवी |
मृत्यु का स्थान | 2019 अलीगढ़ में |
शौक | समाचार कबड्डी धार्मिक शास्त्र, संगीत |
शिक्षा | Ba.llb |
पार्टी का नेतृत्व | भारतीय जनता पार्टी |
कल्याण सिंह का जन्म अलीगढ़ में होने के बाद में इनका पालन-पोषण भी वही हुआ। इनके पिता का नाम तेजपाल लोधी राजपूत और माता का नाम सीता देवी राजपूत था। कल्याण सिंह की शिक्षा भी इनके होमटाउन से हुई थी। इसके अलावा कॉलेज इन्होंने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से किया। इनका विवाह रामवती से हुआ। इनके एक बेटा और एक बेटी है।
कल्याण सिंह स्कूल के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन चुके थे
कल्याण सिंह की एक हिंदूवादी नेता की छवि
मुख्यमंत्री पद पर | 24 दिसंबर सन 1993 से 6 दिसंबर सन 1992 तक 21 सितंबर 1997 से नवंबर 1999 |
सांसद लोकसभा | 2009 से 2019 |
हिमाचल के राज्यपाल | जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक |
राजस्थान के राज्यपाल | 4 सितंबर 2014 से 8 सितंबर 2019 |
राशि | मकर |
पसंदीदा राजनेता | स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई |
मृत्यु की तिथि | 21 अगस्त 2021 |
कल्याण सिंह ने अपने कैरियर में जब राजनीतिक सफर शुरू किया था तो उत्तर प्रदेश में भाजपा को ऊंचाइयों तक ले जाने का पूरा श्रेय इन्हीं कोई दिया जाता है। अपने कैरियर की शुरुआत से ही यह विवादों में घिरे हुए रहे थे। राजनीतिक क्षेत्र में इनको हिंदूवादी नेता के रूप में सभी लोग पहचानते हैं। अपने कॉलेज के दिनों से ही इनका रुझान राजनीतिक दल बढ़ने लगा।पहली बार सन् 1967 में आंतरोली विधानसभा क्षेत्र में विधायक के रूप में इनको नियुक्त किया गया था।
उसके बाद में सन 1993 में पहली बार उत्तर प्रदेश राज्य के जब मुख्यमंत्री के पद पर ये नियुक्त किए गए थे। उन दिनों बाबरी मस्जिद के विध्वंस का मामला गर्म आ रहा था। उसकी पूरी जिम्मेदारी इन्होंने ली और अपने पद से सन 1992 में इस्तीफा दे दिया था।
बीजेपी को छोड़ना और वापस ज्वाइन करना
कल्याण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी को दिसंबर सन 1999 में छोड़ दी और उसके बाद जनवरी 2004 में उनका अन्य पार्टियों से मेल ना खाने की वजह से वापस से बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। लेकिन उनको पहले वाला रुतबा इस पार्टी में ना मिल पाया।
जनवरी 2009 में एक बार फिर से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को छोड़ दिया था। फिर 2014 में वापस से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। फिर इसी बीच में कल्याण सिंह ने अपनी एक नई पार्टी जनक्रांति पार्टी की स्थापना कर दी थी, लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद में इन्होंने इस पार्टी को बीजेपी में ही मिला दिया था।
राजनीति काल में दो वजहों से याद किए जाते है कल्याण सिंह
- नकल अध्यादेश – नकल अध्यादेश के दम पर वह हमेशा गुड गवर्नेंस की बात करते थे। जिस समय पर कल्याण सिंह मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त थे उन दिनों राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त थे। यूपी बोर्ड में नकल करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया गया। नकल करने के बाद पकड़े जाने के लिए कल्याण सिंह ने सख्त कानून बना दिया था किताब में चीटिंग करने वालों के लिए यह सही कानून बन गया।
- बाबरी मस्जिद विध्वंस – बाबरी मस्जिद को कारसेवकों के द्वारा 6 दिसंबर सन 1992 को गिरा दिया था। यह एक तरह से हिंदू गुट का एक ड्रीम जॉब था। इसके लिए 425 में से 221 सीटें लेकर आने वाली कल्याण सिंह की सरकार ने खुद की कुर्बानी दे दी थी। हिंदू संघ की आईडियोलॉजी पर कल्याण सिंह पूरी तरह से खरे उतरे थे। उनका रुतबा वहा उसी हिसाब से बढ़ चुका था, जिस समय राजनीतिक क्षेत्र में केवल दो ही नाम प्रसिद्ध हो रहे थे। उनमें से केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई और यूपी में कल्याण सिंह का नाम प्रमुख था।
कल्याण सिंह की कंट्रोवर्सी
कल्याण सिंह अपने राजनीतिक जीवन काल में बहुत से विवादों में घिरे थे आइए जानते हैं उनकी जानकारी..
- कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही अपने कुछ साथियों के साथ में सीबीआई के द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के साथ में गए वहां उन्होंने राम मंदिर बनाने का फैसला ले लिया था।
- 1 अक्टूबर सन 1994 को कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे उस समय सरकार ने सैलानियों का ध्यान उत्तर प्रदेश में खिंचने के लिए बाबरी मस्जिद के आसपास लगभग 277 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया।
- कल्याण सिंह की सरकार ने राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों के खिलाफ लगाए गए सभी मामले सन 1998 में हटा दिए थे।
- कल्याण सिंह के द्वारा दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि “अगर केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आती है तो राम मंदिर का निर्माण उसी स्थान पर किया जाएगा”
राजनीतिक जीवन काल में सुर्खियों में रहे कल्याण सिंह
कल्याण सिंह का जीवन अपने राजनीतिक जीवन काल में बहुत ही सुर्खियों में रहा था। सबसे पहले बाबरी मस्जिद के विवाद में अदालत में एक लंबी सुनवाई जारी रही थी। इन सब विवादों के बीच में कल्याण सिंह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के पद पर नियुक्त कर रहे थे।
कल्याण सिंह को सीबीआई की विशेष अदालत में मुकदमे का भी सामना करना पड़ा। अदालत के द्वारा सन 2020 में 31 आरोपियों को कल्याण सिंह सहित में बरी कर दिया था।
भारतीय जनता पार्टी के प्रसिद्ध लोकप्रिय नेता और उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लंबी बीमारी के चलने के बाद में लखनऊ में एस पी जी आई हॉस्पिटल के अंदर 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था।
निष्कर्ष
आज हमने आपको इस आर्टिकल के द्वारा कल्याण सिंह की जीवनी “Kalyan singh Biography in hindi” के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान कि है।
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