पृथ्वीराज चौहान की जीवनी(Prithviraj Chauhan Biography in Hindi): आज के इस आर्टिकल में हम आपसे बात करने जा रहे हैं पृथ्वीराज चौहान के बारे में। भारत में बहुत सारे ऐसे योद्धा हुए हैं जिनके बारे में हमें बात करनी चाहिए। ऐसे ही एक योद्धा पृथ्वीराज चौहान भी हैं।
पृथ्वीराज चौहान एक ऐसा नाम है जिसने केवल 11 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता की मृत्यु के पश्चात दिल्ली और अजमेर का शासन संभाला था और उसे कई सीमा तक फैलाया भी था। इस आर्टिकल में हम आपको पृथ्वीराज चौहान की जीवन का इतिहास और उनके जीवन (Prithviraj Chauhan Biography in Hindi) के बारे में अन्य जानकारी देने जा रहे हैं। इसे अंत तक जरूर पढ़ें।
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय: Prithviraj Chauhan Biography in Hindi
वास्तविक नाम | पृथ्वीराज चौहान |
उपनाम | भारतीय स्वर पृथ्वीराज तृतीय हिंदू सम्राट सपाद लखेश्वर राय पिथौरा |
व्यवसाय | छत्रिय |
जन्मतिथि | 1 जून 1163 |
जन्म स्थान | पाटन गुजरात भारत |
आयु मृत्यु के समय | 28 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृह नगर | सोरों शूकर क्षेत्र उत्तर प्रदेश
|
पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1 जून 1163 पाटन गुजरात भारत में हुआ था। शुरुआती समय से ही पृथ्वीराज चौहान के माता पिता ने अपने बेटे को बहुत ही साहसी और निडर पाया था और इसीलिए उन्होंने पृथ्वीराज की तुलना अपने नाना से की थी, क्योंकि वह भी एक बहादुर शासक थे।
पृथ्वीराज चौहान का पारिवारिक परिचय
पिता का नाम | सोमेश्वर |
माता का नाम | कर्पूरा देवी |
भाई का नाम | हरीराज |
बहन का नाम | पृथा |
पत्नियों का नाम (13 पत्नी) | जंबावती पणिहारी |
पंवारी इच्छनी | |
दाहिया | |
जालन्धरी | |
गूजरी | |
बडगूजरी | |
यादवी पद्मावती | |
यादवी शशिव्रता | |
कछवाही | |
पुडीरनी | |
शशिव्रता | |
इन्द्रावती | |
संयोगिता गाहडवाल | |
बेटे का नाम | गोविंद चौहान |
पृथ्वीराज के पिता का नाम सोमेश्वर था जो चाहा मान के राजा थे और उनकी माता रानी कर्पूरा देवी एक कलचुरी राजकुमारी थी। पृथ्वीराज के छोटे भाई का नाम हरीराज था और उनकी बड़ी बहन भी थी जिसका नाम पृथा था।
पृथ्वीराज चौहान की शिक्षा और शुरुआती जीवन
धर्म | हिंदू |
पेशा | राजा योद्धा |
शासन काल | क्षत्रिय |
पृथ्वीराज चौहान और उनके छोटे भाई दोनों का ही पोषण गुजरात में हुआ था। जहां पर उनके पिता सोमेश्वर का पालन उनके नाना नानी ने किया था पृथ्वीराज अच्छी तरह से शिक्षित है।
पृथ्वीराज चौहान 5 साल की उम्र में है अजमेर में विग्रहराज द्वारा स्थापित सरस्वती कंठाभरण विद्यापीठ से उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त की थी।
ऐसा बताया जाता है कि उन्हें 6 भाषाओं में महारत हासिल थी पृथ्वीराज रासो ने आगे बढ़कर यह दावा किया था कि पृथ्वीराज ने 14 भाषाएं सीखी है जो एक अतिशयोक्ति प्रतीत होती हैं।
पृथ्वीराज रासो ने यह भी दावा किया था कि उन्होंने गणित चिकित्सा इतिहास सैन्य रक्षा चित्रकला धर्म शास्त्र और दर्शन जैसे कई विषयों में भी महारत हासिल की हुई थी।
पृथ्वीराज बहुत ही अच्छे तीरंदाजी भी थे पृथ्वीराज को छोटी सी उम्र में ही युद्ध में काफी रुचि रही थी इसीलिए वह कठिन सैन्य कौशल को जल्दी से सीखने में भी सक्षम थे।
पृथ्वीराज चौहान और कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता की कहानी
पृथ्वीराज को कन्नौज के राजा की बेटी से प्यार हो गया था परंतु ना तो लड़की के पिता चाहते थे और ना ही लड़के के पिता दोनों की शादी के लिए तैयार थे। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि वह एक दूसरे के दुश्मन थे। पृथ्वीराज को तब भी आमंत्रित नहीं किया गया था जब संयोगिता के लिए शादी का स्वयंवर रखा था।
इसी के साथ पृथ्वीराज का अपमान करने के लिए कन्नौज के राजा ने मिट्टी की मूर्ति बनाकर प्रवेश के द्वार पर रख दी थी। इससे उन्हें काफी गुस्सा आया और उन्होंने इसका हल निकालने की भी पूरी कोशिश की थी। इसके बाद पृथ्वीराज वहां गए और संयोगिता को लेकर दिल्ली भाग गए थे और उन्होंने शादी कर ली थी। इसके बाद इनके यहां एक लड़का हुआ जिसका नाम गोविंद चौहान रखा गया था।
पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर उत्तराधिकारी
पृथ्वीराज द्वितीय की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर को चाहामना के राजा के रूप में ताज पहनाया गया उस समय पृथ्वीराज की उम्र केवल 11 वर्ष की थी।
1177 में सोमेश्वर का निधन हो गया था जिसकी वजह से 11 वर्षीय पृथ्वीराज अपनी मां के साथ राज गद्दी पर बैठ गए थे बहुत ही कम उम्र में पृथ्वीराज चौहान ने राजपाट संभाला और पृथ्वीराज चौहान की मां ने प्रशासन का प्रबंधन किया।
उन्होंने अजमेर और दिल्ली दोनों पर ही शासन किया और एक बार राजा बनने के बाद उन्होंने अपने राज्य का काफी विस्तार करने का अभियान शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने राजस्थान के छोटे राज्यों पर कब्जा करना शुरू किया। उनमें से प्रत्येक को सफलतापूर्वक जीत भी लिया गया उसके बाद उन्होंने खजुराहो और महोबा के चंदेला पर हमला किया और उन्हें भी हरा दिया।
इसके बाद 1182 में गुजरात के चालूक्यों पर एक अभियान चलाया गया जिसके परिणाम एक युद्ध हुआ जो कई वर्षों तक चला अंत में 1187 में भीम 11 द्वारा उसे पराजित किया गया।
इसके बाद पृथ्वीराज ने कन्नौज के गढ़ वालों पर भी आक्रमण किया। उन्होंने खुद को अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ राजनीति ग्रुप में भी शामिल नहीं किया और अपने राज्य का विस्तार करने में वह सफल हुए और उन्होंने खुद को अलग-थलग कर लिया।
पृथ्वीराज चौहान का नागार्जुन से संघर्ष
1180 में पूर्ण नियंत्रण पृथ्वीराज चौहान ने ले लिया और जल्द ही उन्हें कई हिंदू शासकों ने भी चुनौती दी। जिन्होंने चौहान वंश पर कब्जा करने की कोशिश की थी। पृथ्वीराज चौहान की पहली सैन्य उपलब्धि उनके चचेरे भाई नागार्जुन पर ही हुई थी। नागार्जुन पृथ्वीराज के चाचा विग्रहराज चतुर्थ के पुत्र थे उन्होंने सिंहासन पर उनके राज्य विषय के खिलाफ विद्रोह भी किया था।
पृथ्वीराज चौहान का चंदेलो से युद्ध
1182 से 1183 के बीच पृथ्वीराज के शासनकाल के मदनपुर शिलालेखों ने यह दावा किया कि उन्होंने जेजाक भक्ति को हराया था। जिस पर चंदेल राजा परमारदी का शासन था। इसके बाद चांडाल राजा के पृथ्वीराज द्वारा पराजित होने के बाद इसने कई शासकों को उसके साथ घृणा संबंध बनाने के लिए भी प्रेरित किया।
जिसकी वजह से चंदेल और घरवालों के बीच एक गठबंधन बन गया। इसके बाद दोनों ने मिलकर पृथ्वीराज के शिविर पर हमला किया परंतु जल्द ही उनकी हार हो गई और कुछ दिनों बाद ही दोनों राजा को मार डाला गया।
पृथ्वीराज की विशाल सेना
16वी सदी के मुस्लिम इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार उनकी सेना में 300000 सैनिक है जिसमें केवल 200000 घुड़सवार सैनिक ही थे। इसके अलावा पृथ्वीराज चौहान की सेना में 3000 हाथी भी शामिल थे इतनी विशाल सेना के साथ उन्होंने बहुत सारे युद्ध भी जीते थे।
पृथ्वीराज की महत्वपूर्ण लड़ाइयां
पृथ्वीराज चौहान ने अपने जीवन में बहुत सारी लड़ाइयां लड़ी थी जिसकी वजह से वह बहुत प्रसिद्ध शासक थे। सबसे पहले 12 वीं शताब्दी में मुस्लिम राजवंशों ने उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों पर कई छापे मारे थे जिसकी वजह से उसी से के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा करने में सफल रहे थे।
इसके बाद ऐसा ही एक राजवंश था घुरिद वंश जिसके शासन मोहम्मद गोरी ने सुल्तान पर कब्जा करने के लिए सिंधु नदी को पार किया जो सामान साम्राज्य का एक पुराना हिस्सा था। मोहम्मद गोरी ने पश्चिमी क्षेत्रों को नियंत्रित किया जो पृथ्वीराज के राज्य का हिस्सा था।
मोहम्मद गौरी अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था जिस पर पृथ्वीराज चौहान का नियंत्रण था। इस वजह से इन दोनों के बीच कई लड़ाई भी हुई। ऐसा कहा जाता है कि इन दोनों ने कई लड़ाइयां लड़ी लेकिन सबूतों के टुकड़े उनमें से केवल दो के लिए ही है जिसमें तराइन के युद्ध के नाम से जाना जाता है।
पृथ्वीराज और मोहम्मद गौरी का प्रथम युद्ध
यह तराइन की पहली लड़ाई 1190 इसी में शुरू हुई थी। इस लड़ाई के शुरू होने से पहले मोहम्मद गौरी ने तबरहिंडा पर कब्जा कर लिया था जो चाह मान का हिस्सा था। यह बात जब पृथ्वीराज को पता चली तो वह काफी क्रोधित हुए उन्होंने उस जगह के लिए एक अभियान भी शुरू किया।
दोनों सेना में काफी झड़प हुई और कई लोग हताहत हुए पृथ्वीराज की सेना ने मोहम्मद गौरी की सेना को हरा दिया। जिसकी वजह से घोर घायल हो गया परंतु वह किसी तरह बच निकला।
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी का दूसरा विश्व युद्ध
तराइन की पहली लड़ाई में पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को हरा दिया था। उस समय पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को ना मारकर सबसे बड़ी गलती की। हालांकि पृथ्वीराज को यह भी पता नहीं था कि गौरी उस पर फिर से हमला करेगा।
जबकि उसकी जान बकाया थी उसके बाद 1192 में मोहम्मद गौरी एक लाख से अधिक सैनिक की सेना के साथ पृथ्वीराज पर हमला करने के लिए आया और यह तराइन का दूसरा युद्ध था।
पृथ्वीराज चौहान की सेना में 3000 से अधिक हाथी और तीन लाख के करीब घुड़सवार और अन्य सैनिक शामिल थे। उस समय राजपूतों के अपने सिद्धांत थे वह सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कभी भी लड़ाई नहीं करते थे। गौरी ने चतुराई से हमला किया और जब उसने हमला किया तब पृथ्वीराज चौहान की सेना तैयार नहीं थी इसीलिए पृथ्वीराज को हार का सामना करना पड़ा और साथ ही गौरी ने उसे बंदी भी बना लिया था।
पृथ्वीराज की मृत्यु
मृत्यु तिथि | 11 मार्च 1192 |
मृत्यु स्थान | अजय मेरु अजमेर राजस्थान |
मृत्यु के समय आयु | 28 वर्ष |
युद्ध में पृथ्वीराज चौहान पराजित हो गए और गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बना लिया। उसके बाद क्रोधित होकर पृथ्वीराज की हत्या का आदेश दे दिया गया। जहां पर एक मुस्लिम सैनिक ने रत्न जड़ित एक तलवार से पृथ्वीराज की हत्या कर दी। इस प्रकार अजमेर में पृथ्वीराज की जीवन लीला की समाप्ति हो गई। अंत में उनका अंतिम संस्कार अजमेर में उनके छोटे भाई हरि राज के हाथों हुआ था।
आज भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान का राजस्थान से अजमेर में समाधि स्थल स्थापित किया गया है।
पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर बनी फिल्म
पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर एक फिल्म बन चुकी है जिसमें अभिनेता अक्षय कुमार ने पृथ्वीराज चौहान की भूमिका निभाई। यह फिल्म पृथ्वीराज रासो पर आधारित है जो बृज भाषा की एक महाकाव्य है। इस फिल्म में पृथ्वीराज चौहान के जीवन के बारे में दिखाया गया है।
इस फिल्म में मानुषी छिल्लर ने उनकी 13वी पत्नी संयोगिता की भूमिका निभाई और अपनी हिंदी फिल्म की शुरुआत की। इस फिल्म में संजय दत्त, सोनू सूद, मानव विज आशुतोष राणा और साक्षी तंवर भी अहम किरदारों में नजर आए।
यह फिल्म पहले 2020 सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी परंतु covid की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया इसके बाद यह फिल्म 3 जून 2022 को रिलीज हुई।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको पृथ्वीराज चौहान के जीवन (Prithviraj Chauhan Biography in Hindi) के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी दी है। पृथ्वीराज चौहान जो हमारे देश के महान योद्धा रह चुके हैं।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अधिक जानकारी के लिए आप कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकते हैं।