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Lal Bahadur Shastri Biography In Hindi: आज के समय में हम एक आजाद भारत में सांस ले रहे हैं इसके पीछे की कई सारी वजह है और बहुत सारे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने देश यानी कि भारत माता को आजाद कराने के लिए अपनी जान की बाजी भी लगा दी ऐसे लोगों की वजह से ही आज हम स्वतंत्र भारत में रह रहे हैं और किसी के गुलाम भी नहीं है।
भारत देश को आजाद कराने के लिए किसी एक या दो दे नहीं बल्कि कई सारे लोगों ने अपना योगदान दिया है और इन्होंने अपनी जान की परवाह भी नहीं की क्योंकि इनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ भारत देश को आजाद कराना था और भारत के वासियों को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाना ही था।
इन महान पुरुषों में से एक लाल बहादुर शास्त्री जी भी हैं जिन्होंने भारत माता के लिए बहुत से कार्य किए और यह भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री भी थे जिन्होंने अपने शासन में कई सारे ऐसे कार्य किए जो कि आज के समय में भी कोई नहीं कर पा रहा है इनका किया गया हर कार्य और इनके बोलेगा हर शब्द अदिति हैं जिस वजह से आज हम इनको याद करते हैं।
अगर आप भी लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के बारे में नजदीक से जानना चाहते हैं तो आज हम आपको अपने लेख की सहायता से लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी हर एक जानकारी देने की कोशिश करेंगे जिसके जरिए आप भी इनको अच्छे से जान पाएंगे। आज के आर्टिकल में हम आपको Lal Bahadur Shastri Biography In Hindi के बारे में जानकारी देंगे।
Page Contents
लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय: Lal Bahadur Shastri Biography In Hindi
जीवन परिचय बिंदु | शास्त्री जी जीवन परिचय |
पूरा नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
जन्म | 2 अक्टूबर 1904 |
जन्म स्थान | मुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश |
माता – पिता | राम दुलारी – मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव |
मृत्यु | 11 जनवरी 1966 |
पत्नी | ललिता देवी |
बच्चे | 4 लड़के, 2 लड़कियां |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धर्म | हिन्दू |
इनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश में हुआ था, इनके पिता जी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था, ये प्राथमिक शाला के अध्यापक थे, इनकी माता जी का नाम राम दुलारी था, जो की एक ग्रहणी थी। इनकी पत्नी का नाम ललिता देवी और इनके 4 लड़के और 2 लड़कियां थी।
लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन
आपको बता दे की लाल बहादुर शास्त्री जी को इनके परिवार के सदस्य नन्हे कहकर पुकारते थे, जिसकी वजह यह थी की इनको सभी बहुत प्यार करते थे किंतु इनके पिता का स्वर्गवास इनके बचपन में ही हो गया था, जिस वजह से इनका पालन पोषण इनकी माता जी ने ही किया और इनकी माता इनको लेकर अपने पिता हजारी लाल के घर मिर्जापुर चली गई थी।
इन्होंने अपने शुरुवाती पढ़ाई मिर्जापुर से ही की और इसके बाद हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी-विद्यापीठ से इन्होंने पढ़ाई की और इन्होंने संस्कृत में स्नातक भी किया हुआ है।
आप भी सोच रहे होंगे की इनको शास्त्री की उपाधि कहां से मिली तो मैं आपको बता दूं की काशी-विद्यापीठ में इनको शास्त्री की उपाधि मिली, इनके बाद से इन्होंने अपने नाम शास्त्री शब्द जोड़ दिया जिसके बाद से सब इनको लाल बहादुर शास्त्री के नाम से जानने लगे।
लाल बहादुर शास्त्री जी का विवाह
इनका विवाह 1928 में ललिता शास्त्री से हुई, जिसके बाद इनके 4 लड़के और 2 लड़कियां हुई। यह हमेशा से ही बच्चो और अपने परिवार से प्यार किया करते थे।
लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता की लड़ाई
जैसा कि मैंने आपको ऊपर ही बताया है कि लाल बहादुर शास्त्री जी ने भारत देश को आजाद कराने के लिए बहुत से योगदान किए और बहुत से कार्य किए इसी प्रकार आपको बता दें कि इन्होंने सबसे पहले मरो नहीं मारो का नारा दिया जिससे कि पूरे भारत में एक ज्वाला सी उठी और फिर 1920 में लाल बहादुर शास्त्री जी भी स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना योगदान देने पहुंच गए।
आपको बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री जी एक गांधीवादी नेता थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सिर्फ और सिर्फ भारत माता और भारत वासियों के लिए कुर्बान कर दिया, इन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए कई सारे कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कई बार इनको जेल भी जाना पड़ा किंतु यह कभी पीछे नहीं हटे और लगातार भारत को आजाद कराने का प्रयास करते रहे।
इन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान अहसयोग-आन्दोलन जो की 1921 में, दांडी-यात्रा को की 1930 में और फिर 1942 में भारत छोडो आंदोलन में एक अहम भूमिका निभाई और भारत को आजादी दिलाने का हर संभव प्रयास किया।
जिस दौरान द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, इस दौरान स्वतंत्रता की लड़ाई को तीव्रता मिली और फिर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भी आजाद हिन्द फ़ौज नाम की एक फौज तैयार की और दिल्ली-चलो का नारा दिया और इसी वक्त 8 अगस्त 1942 में चल रहे गांधी जी के द्वारा चलाया गया आंदोलन यानी की असहयोग आन्दोलन ने तीव्रता ली, इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी ने करो या मरो का नारा दिया हालांकि 9 अगस्त 1942 को इन्होंने अपने नारे को बदलकर मरो या मरो में बदला।
लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु
आपको जानकर हैरानी होगी की लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु एक सोची समझी साजिश थी, जिसमे कुछ देशों का हाथ है, 1966 के दौरान शांतिपूर्ण तरीके से पाकिस्तान से समझौता करने के लिए रूस और अमेरिका ने इन पर दबाव बनाया जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री जी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान से मिलने रूस की राजधानी ताशकंद चले गए जहां पर बहुत से बाते हुई किंतु उस दौरान इनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जाने लगा और इनका पोस्टमार्टम भी नही कराया गया, किंतु इनकी मृत्यु की वजह से इनको दिया गया जहर था, जो की एक सोची समझी साजिश थी।
इस तरह यह महापुरुष हमको और हमारे देश को 11 जनवरी 1966 को छोड़ कर चला गया जो की हमारे देश के लिए अफसोस की बात थी और उस समय गुलजारी लाल नंदा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
निष्कर्ष
भारत के वीर नेता के रूप में पहचाने जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री जो भारत के प्रधानमंत्री भी रह चुके है। कांग्रेस पार्टी के कदावर नेता के रूप में भी इनको अच्छी लोकप्रियता मिली हुई है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने जीवन में देश के लिए कई बेहतरीन कदम उठाये थे आज के आर्टिकल में हमने आपको Lal Bahadur Shastri Biography In Hindi के बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है, की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको पसंद आई होगी।