रतन टाटा बायोग्राफी (Ratan Tata Biography in Hindi): रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत गुजरात में हुआ टाटा समूह के वर्तमान अध्यक्ष जो कि भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक समूह है। आज के समय में रतन टाटा भारत के सबसे बड़े ग्रुप के मालिक है।
जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की थी और उनके परिवार की वीडियो ने इसका विस्तार किया है और इसे दृढ बनाया हैं। आज के आर्टिकल में हम आपको रतन टाटा बायोग्राफी (Ratan Tata Biography in Hindi) के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
रतन टाटा बायोग्राफी | Ratan Tata Biography in Hindi

नाम | रतन टाटा |
जन्म | 28 दिसंबर 1937, सूरत (गुजरात) |
माता-पिता का नाम | नवल टाटा (पिता) और सोनू टाटा (माता) |
शिक्षा कहां से की प्राप्त | कॉर्नेल विश्वविधालय, हार्वर्ड विश्वविधालय |
जीवनसाथी | अविवाहित |
व्यवसाय | टाटा समूह के निवर्तामान अध्यक्ष |
व्यवसाय की शुरूआत | 1962 |
पुरस्कार | पद्मा विभूषण (2008) और ओबीई (2009) |
शिक्षा | बी.एस. डिग्री संरनात्मक इंजीनियरिंग एवं वास्तुकला में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम |
नागरिकता | भारतीय |
राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक कंपनी का डायरेक्टर इंचार्ज 1997 रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिकस कम्पनी का डायरेक्टर इनचार्ज बनाया गया। एक कम्पनी जो कि सख्त वितीय कठिनाई मे थी। तब रतन टाटा ने यह सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की जगह उच्च प्रौद्योगिकी विकास मे निवेश करना चाहिए।
जेआरडी नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि उन्होंने कभी भी सही तरीके से लाभांश का भुगतान नहीं किया। जब रतन टाटा ने इसका कार्यभार संभाला तो नेल्को का बाजार में हिस्सेदारी 2% था तथा घाटा बिक्री 40% था। फिर भी जेआरडी ने रतन टाटा के सुझाव का अनुसरण किया।
1972 से 75 तक सीआईडी में अपने बाजार में हिस्सेदारी 20% बना ली थी और अपना घाटा भी पूरा कर लिया। लेकिन 1975 में भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक आपात स्थिति घोषित कर दिया। जिससे आर्थिक मंदी उत्पन्न हो गई। इसके बाद 1977 में यूनियन की समस्याएं उत्पन्न हुई जिसके वजह से मांग के अनुसार उत्पत्ति नहीं हो पाई।
अंततः टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया और 7 माह तक तालाबंदी कर दी। रतन टाटा ने हमेशा नेल्को की मौलिकता मे दृढ विशवास किया लेकिन उत्तम आगे नहीं बढ़ सका।
रतन टाटा का कैरियर
रतन टाटा ने अपने जीवन में कई प्रयत्न किए थे तब जाकर उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है। रतन टाटा आज के समय में भारत के सबसे बड़े टाटा ग्रुप के मालिक है। रतन टाटा के बिज़नस के बारे में और कुछ जानकारी नीचे प्रदान करवा रहे है।
इम्प्रेस मील
1977 में रतन टाटा को इंप्रेस मिल सौंपा गया। टाटा नियंत्रित कपड़ा मिल थी। जब उन्होंने इस कंपनी का कार्यभार संभाला तो यह टाटा ग्रुप की सबसे बीमार इकाइयों में से एक थी। रतन टाटा ने इसे संभाला तथा लाभांश की भी घोषणा कर दी। कम श्रम गहन तथा औद्योगिक प्रतियोगिता ने इस मील को अलाभकारी बना दिया था।
जिनकी श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था। रतन टाटा के कहने पर इसमें कुछ निवेश किया गया परंतु इसमें कोई लाभ नही रहा क्योंकि उस समय मोटे सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था।
बाँम्बे हाऊस
टाटा मुख्यालय तथा अन्य ग्रुप से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम मे लगाने को राजी नहीं था। जिसे लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो इसलिए कुछ टाटा निर्देशकों ने मुख्यता पालकीवाला ने यह फैसला किया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए। अंत में 1986 को बंद कर दिया गया रतन टाटा इस फैसले से बहुत ज्यादा निराश हुए।
उन्होंने टाइम्स को दिए गए साक्षात्कार में यह बताया कि मिल को जारी रखने के लिए 50 लाख रूपए की जरूरत थी। 1981 मे टाटा इंडस्ट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाया गए। वे नए प्रौद्योगिकी उद्योगों के प्रवर्तक थे।
जेआरडी ग्रुप के चेयरमैन
1991 में रतन टाटा ने जेआरडी ग्रुप के चेयरमैन का पदभार संभाला। रतन टाटा ने पुराने र्गाडो को बाहर निकाल दिया तथा नए युवकों को प्रबंधन का कार्य सौंपा। इसके परिणामस्वरूप रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के आकार को ही बदल दिया। जो कि वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उधम से अधिक पूंजी रखता हैं।
रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा कंसल्टेंसी र्सविसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्युयार्क स्टाक एकसचेंज मे सूचीबद्ध हुई। 1998 मे टाटा मोर्टस ने उनकी संकलपित टाटा इंडिका को बाजार मे उतारा।
कोरम समुह को अधिक्रत करना
जनवरी मे रतन टाटा की अध्यक्षता में टाटा संस ने कोरम समुह को सफलतापूर्वक अधिकृत किया। जो की एक एंग्लो -डच एल्युमिनियम और इस्पात निर्माता हैं। इस अधिग्रहण के साथ ही रतन टाटा भारतीय व्यापारिक क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए। इस विलय के फल स्वरुप दुनिया को पांचवां सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्था मिला।
रतन टाटा का सपना

रतन टाटा का सपना था कि वह1,00,000लागत की कार बनायी जाए। नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी को इस कार का उद्घाटन करके उन्होंने अपना सपना पूरा किया। टाटा नैनो के तीन मॉडलों की घोषणा की गई और रतन टाटा ने केवल से ₹100000 की कीमत पर कार बाजार को देने का वादा पूरा किया।
रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स में जैगुआर और लैण्ड रोवर को खरीद लिया ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक जैगुआर और लैण्ड रोवर 1.15 अरब पाऊंड मे खरीदी गई।
रतन टाटा के पुरस्कार
रतन टाटा आज भारत के विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत हैं।वह प्रधानमंत्री की व्यापार एवम उधोग परिषद के सदस्य हैं। आर्थिक शिक्षा के क्षेत्र में हेटफिल्ड रत्न सदस्य वह सर्वोच्च सम्मान जो विश्वविद्यालय कंपनी क्षेत्र में विशिष्ट व्यक्तियों को प्रदान करती है।
यह सम्मान रतन टाटा को भी प्राप्त हैं। भारत सरकार ने रतन टाटा को पद्म विभूषण से भी नवाजा हैं। उन्हें पद्मभूषण भी मिला हैं और वह नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार प्राप्त करने वालों में से एक हैं। टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारगेनी पदक प्राप्त है।
निष्कर्ष
रतन टाटा को आज के समय में कौन नहीं जानता है। रतन टाटा की लोकप्रियता बहुत ही ज्यादा है। टाटा ग्रुप भारत का सबसे बड़ा ग्रुप है जो व्हीकल निर्माता कंपनी है।
आज के आर्टिकल में हमने आपको रतन टाटा बायोग्राफी (Ratan Tata Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि आपको हमारे इस आर्टिकल से जुड़ा हुआ कोई सवाल है, तो आप हमें कमेंट में बता सकते है।