डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी: मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सम्पूर्ण सचित्र जीवन परिचय

Share on:

Dr. APJ Abdul Kalam Biography In Hindi: भारत के 11 वें राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सम्पूर्ण और सचित्र जीवन परिचय हिंदी भाषा में (Dr. APJ Abdul Kalam Biography In Hindi) दिया गया है। उनकी जीवनी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक है।

विशेषता जानकारी
पूरा नाम अवुल पकीर जैनुलबदीन अब्दुल कलाम
जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत
पेशा वैज्ञानिक, शिक्षक, लेखक, भारत के 11वें राष्ट्रपति
शिक्षा सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली; मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, चेन्नई
प्रसिद्धि भारत के मिसाइल मैन, अग्नि, पृथ्वी मिसाइलों का विकास
पुरस्कार भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981)

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम में हुआ था। वे एक मध्यम-वर्गीय मुस्लिम परिवार से थे। उनके पिता एक नाविक थे और माँ गृहिणी थीं। कलाम ने अपने प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम में पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए तिरुचिरापल्ली और चेन्नई गए।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के पिता किराए पर नाव देने और बेचने का काम करते थे। उनकी माता असीमा जो घरेलू ग्रहण का काम करती थी। कलाम के पिता अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने अपने बेटे को उच्च शिक्षा देने के बारे में पहले से ही सोच रखा था।

अब्दुल कलाम पांच भाई बहन थे, जिसमें 3 बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी अब्दुल कलाम सबसे छोटे परिवार के सदस्य थे जब अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब परिवार पूरी तरह से गरीबी में था। लेकिन परिवार की मदद डॉक्टर अब्दुल कलाम ने छोटी उम्र से ही करना शुरु कर दी थी।

परिवार की गरीबी देखते हुए डॉक्टर अब्दुल कलाम ने छोटी उम्र में न्यूज़पेपर बेचना शुरू किया। स्कूल के दिनों में स्कूल के समय स्कूल जाकर पढ़ाई करते और सुबह के समय में जल्दी उठकर न्यूज़पेपर बेचा करते थे। डॉक्टर अब्दुल कलाम को गणित के विषय में बहुत ही ज्यादा अत्यधिक रुचि थी और इसी वजह से गणित के विषय में हमेशा स्कूल में अव्वल रहते थे।

अब्दुल कलाम की प्रारंभिक शिक्षा

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रारंभिक शिक्षा सेचवर्टस वर्ड्स हायर सीनियर सेकेंडरी स्कूल रामनाथपुरम तमिलनाडु में हुई।

स्कूल के दिनों में ही डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की ख्वाहिश और उम्मीद अन्य विद्यार्थियों की तुलना में अधिक थी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम नी अपने तीन मूल मंत्र उम्मीद, कॉन्फिडेंस और ख्वाहिश की वजह से ही हर परेशानी का सामना करते हुए मंजिल को हासिल की थी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने सेंट जोसेफ कॉलेज से 1954 में भौतिक विज्ञान से बीएससी की डिग्री हासिल की और 1955 को मद्रास चले गए डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम लड़ाकू विमान के पायलट बनना चाहते थे।

इसी के चलते उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण करने के लिए परीक्षा देने के लिए गए और वहां पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को नौवां स्थान मिला था लेकिन भारतीय वायुसेना में केवल आठ स्थान उपलब्ध थे। जिसके चलते उनको असफलता हाथ लगी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद प्रोजेक्ट इंचार्ज के माध्यम से रॉकेट का एक मॉडल तैयार किया जिसके लिए उन्हें प्रोजेक्ट इंचार्ज के द्वारा 3 दिन का समय मिला था। लेकिन इन्होंने 24 घंटे में इस लक्ष्य को पूरा कर के प्रोजेक्ट तैयार कर दिया इंचार्ज को विश्वास नहीं हुआ और यह मॉडल इतना जल्दी पूरा हुआ कि प्रोजेक्ट इंचार्ज आश्चर्यचकित हो गए थे।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का करियर

कलाम ने अपना करियर वैज्ञानिक और प्रशासक के रूप में डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) और इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में बिताया। उन्होंने भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च वाहन (SLV-III) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में भारत के मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख बने।

भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत में मिसाइल और परमाणु हत्यारों को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी लोग परमाणु हथियार और मिसाइल की भारत में उत्पत्ति के पीछे डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का हाथ मानते हैं।

कॉलेज में अच्छे अंकों के साथ डिग्री हासिल करने के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए उसके बाद वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी इन्होंने काम किया 1969 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इसरो अनुसंधान केंद्र में शामिल हो गए।

वहां पर इन्होंने अपने परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए कई प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य किए वैज्ञानिक के तौर पर इन्होंने प्रथम उपग्रह रोहिणी को भारत की प्रथम कक्षा में 1980 में स्थापित किया था।

इसके पश्चात डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने 1963-64 में नासा अमेरिकी अनुसंधान संगठन का भी दौरा किया था।

भारत के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना ने पहला परमाणु परीक्षण किया जिसमें डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को परीक्षण के समय बुलाया गया था।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की उपलब्धियों को देखते हुए उस समय भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कैबिनेट को मंजूरी देते हुए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को गुप्त कार्यों को करने की अनुमति दी थी और गुप्त कार्यों की अनुमति मिलने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कई प्रकार के परमाणु हथियार और मिसाइलों को तैयार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कलाम के नेतृत्व में पोखरण में 11 मई साल 1998 को किए गए परमाणु परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की उपलब्धियाँ

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के 11वें राष्ट्रपति पद पर राष्ट्रपति के रूप में साल 2002 से लेकर साल 2007 तक कई साल तक सेवा दी है।

भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 को शपथ ग्रहण की थी। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें भारत रत्न पुरस्कार भी मिला डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न पुरस्कार लेने वाले तीसरे राष्ट्रपति रहे।

कलाम को उनके वैज्ञानिक और तकनीकी योगदानों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया, जिनमें भारत रत्न, पद्म विभूषण, और पद्म भूषण शामिल हैं। उन्हें विशेष रूप से “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है।

  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को साल 2014 में डॉक्टर ऑफ साइंस का पुरस्कार एडिनबर्ग विश्वविद्यालय यूनाइटेड किंगडम के द्वारा दिया गया था।
  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को 2012 में डॉक्टर ऑफ रोज मानद उपाधि साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय के द्वारा प्रदान की गई थी।
  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को सबसे पहला पद्म भूषण पुरस्कार 1986 में मिला था।
  • साल 2008 में डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग का पुरस्कार सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के द्वारा प्रदान करवाया गया था।
  • साल 2009 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को कौन कौन बैंक का पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के द्वारा दिया गया था।
  • 1998 में भारत सरकार के द्वारा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को वीर सावरकर पुरस्कार प्रदान करवाया गया था।
  • 1997 में इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्रीय एकता पुरस्कार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को दिया गया था।
  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न 1997 में दिया गया।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का व्यक्तिगत जीवन

कलाम अविवाहित थे और उन्होंने अपना जीवन शिक्षा, लेखन, और युवाओं को प्रेरित करने में समर्पित कर दिया। उनकी मृत्यु 27 जुलाई 2015 को शिलांग में हुई, जब वे एक व्याख्यान देने के दौरान गिर पड़े।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की विरासत

कलाम की विरासत उनके योगदान, सादगी, और युवाओं के प्रति उनके प्रेरणादायक संदेशों में जीवित है। वे विशेष रूप से अपने विचारों और दृष्टिकोणों को शिक्षा के माध्यम से साझा करने के लिए जाने जाते हैं।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की किताबें

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने लेखक के तौर पर कई किताबें लिखी थी जो आज भी विख्यात है। कलाम की किताबें पढ़ना लाखों लोगों को पसंद है क्योंकि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के द्वारा लिखी गई किताबों में इतना ज्ञान भरा हुआ है कि हर कोई उन्हें पढ़ना चाहता है।

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की लिखी गई किताबों के बारे में नीचे कुछ जानकारी दी गई है।

  • “विंग्स ऑफ फायर” – एपीजे अब्दुल कलाम
  • “मेरा जीवन संगीत” – एपीजे अब्दुल कलाम
  • “इग्नाइटेड माइंड्स” – एपीजे अब्दुल कलाम

इन पुस्तकों को ऑनलाइन बुकस्टोर्स जैसे कि Amazon और Flipkart पर खरीदा जा सकता है।

इससे संबधित और पढ़ें:

Rahul Singh

राहुल सिंह एक युवा लेखक है तथा ज्यादातर ऑनलाइन गेमिंग, लोटरी, फेंटेसी गेम, क्रिप्टो करेंसी और शेयर मार्किट से जुड़ी खबरें लिखते है।