✅ हाइलाइट्स ↕
नई दिल्ली: 9 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 12 मार्च तक चुनावी बांड के विवरण को चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया। यह फैसला एसबीआई द्वारा अतिरिक्त समय मांगने की याचिका खारिज किए जाने के बाद आया है।
आदेश के मुख्य बिंदु:
- एसबीआई को 12 मार्च तक चुनाव आयोग को सभी चुनावी बांड के विवरण, जिसमें दानकर्ता और प्राप्तकर्ता का नाम, राशि और बांड की तारीख शामिल है, प्रस्तुत करना होगा।
- चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम 5 बजे तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करनी होगी।
- एसबीआई की याचिका, जो चुनावी बांड का विवरण देने की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाना चाहता था, खारिज कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड का उपयोग पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए और जनता को यह जानने का अधिकार है कि चुनावी बांड का उपयोग किसके द्वारा और कैसे किया जा रहा है।
- बैंक का यह तर्क कि चुनाव आयोग के पास पहले से ही निर्वाचन बांड का विवरण है, स्वीकार्य नहीं है।
पृष्ठभूमि:
- 2017 में, चुनाव आयोग ने एसबीआई को निर्वाचन बांड के विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया था।
- एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग के निर्देश को चुनौती दी थी।
- 9 मार्च 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की याचिका खारिज कर दी और चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम 5 बजे तक निर्वाचन बांड का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया।
चुनावी बांड:
- चुनावी बांड एक वित्तीय साधन है जो किसी भी राजनीतिक दल को दान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- चुनावी बांड को गुमनाम रखा जाता है, जिसका अर्थ है कि दान करने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है।
- चुनावी बांड का उपयोग चुनावी सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है।
इस फैसले का प्रभाव:
- यह फैसला चुनावी बांड के उपयोग में अधिक पारदर्शिता लाने में मदद करेगा।
- यह राजनीतिक दलों को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में भी मदद कर सकता है।
अनुमान:
यह देखना बाकी है कि यह फैसला चुनावी सुधारों को कैसे प्रभावित करेगा।