✅ हाइलाइट्स ↕
Ratha Saptami 2024: सूर्य देव को समर्पित “रथ सप्तमी” हिंदू कैलेंडर के माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, रथ सप्तमी 2024 में 16 फरवरी (शुक्रवार) को है।
रथ सप्तमी के दिन, भक्त सूर्य देवता की पूजा अर्चना करते हैं और उनसे आरोग्यता, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।
रथ सप्तमी 2024 का शुभ मुहूर्त
Ratha Saptami 2024 Shubh Muhurat: 16 फरवरी 2024, रथ सप्तमी के दिन सुबह 5 बजे से 6 बजकर 42 मिनट तक स्नान का मुहूर्त है। उसके बाद आप शुभ चौघड़िया में स्नान कर सकते है।
रथ सप्तमी शुक्रवार, फरवरी 16, 2024 को
रथ सप्तमी के दिन स्नान मूहूर्त – 05:01 ए एम से 06:42 ए एम
अवधि – 01 घण्टा 42 मिनट्स
रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय – 06:19 ए एम
रथ सप्तमी के दिन अवलोकनीय सूर्योदय – 06:42 ए एम
सप्तमी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 15, 2024 को 10:12 ए एम बजे
सप्तमी तिथि समाप्त – फरवरी 16, 2024 को 08:54 ए एम बजे
रथ सप्तमी के दिन का चौघड़िया मुहूर्त
रथ सप्तमी के अवसर पर अरुणोदय काल में करें स्नान
रथ सप्तमी, जिसे आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक विशेष त्योहार है जो सूर्य देवता की उपासना से जुड़ा हुआ है। इस दिन, सूर्योदय से पूर्व के समय, जिसे अरुणोदय कहा जाता है, में स्नान करने की परंपरा है।
अरुणोदय काल सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पूर्व शुरू होता है, जो कि सूर्य के प्रकाश के आगमन का सूचक है।
अरुणोदय काल में स्नान का महत्व
- स्वास्थ्य लाभ: अरुणोदय काल में स्नान करने से माना जाता है कि व्यक्ति स्वस्थ रहता है और उसे विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इस समय जल में स्नान करने से शरीर और मन दोनों को ऊर्जा मिलती है।
- आध्यात्मिक लाभ: इस समयावधि में स्नान करने से आध्यात्मिक शुद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस समय स्नान करने से आत्मा को पवित्रता और स्वच्छता का आशीर्वाद मिलता है।
- प्राकृतिक जलस्रोतों में स्नान: रथ सप्तमी के दिन, घर पर स्नान करने की अपेक्षा नदी, नहर, या अन्य जलस्रोतों में स्नान करने को अधिक महत्व दिया जाता है। प्राकृतिक जलस्रोतों में स्नान करने से माना जाता है कि व्यक्ति प्रकृति के निकट आता है और उसे अधिक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
क्यों मनाई जाती है रथ सप्तमी?
रथ सप्तमी को ‘सूर्य जयंती’ के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इसे सूर्य देव के जन्मदिन
स्कन्ध पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान सूर्य को रथ की प्राप्ति हुई थी, इसलिए इसे “रथ सप्तमी” कहा जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान सूर्य देव ने रथ सप्तमी के दिन से समस्त संसार को प्रकाशित करना प्रारम्भ किया था।
इस दिन सूर्य देवता की पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि माना जाता है कि सूर्य देवता समस्त जीवन के स्रोत हैं और उनकी कृपा से ही धरती पर जीवन संभव है।
रथ सप्तमी के अन्य नाम
रथ सप्तमी को कई स्थानों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे ‘माघ सप्तमी’, ‘सूर्य सप्तमी’, ‘अचला सप्तमी’ और ‘आरोग्य सप्तमी’। ये नाम इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्वों को दर्शाते हैं।
रथ सप्तमी उत्सव और रीति-रिवाज
रथ सप्तमी के दिन, भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और सूर्य देवता के सामने दीप, धूप और पुष्प अर्पित करते हैं।
कई जगहों पर सूर्य देवता की विशाल रथों के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, और लोग अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुएं गरीबों में वितरित करते हैं।
रथ सप्तमी स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ
रथ सप्तमी के दिन सूर्य स्नान का विशेष महत्व है, जिसे स्वास्थ्य और पवित्रता के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह त्योहार शरीर और मन की शुद्धि, स्वास्थ्य में सुधार और आत्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
रथ सप्तमी का उत्सव हमें प्रकृति और उसके तत्वों के प्रति आदर और कृतज्ञता की भावना से भर देता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि कैसे सूर्य देवता की कृपा से हमारे जीवन में प्रकाश और उर्जा का संचार होता है।